On 1/25/10, Harish Sati <harish.sati@gmail.com> wrote:
> Respected Group Members wish you all a very Happy 61st Republic Day. भारतीय
> तिरंगे का इतिहास
>
> "सभी राष्ट्रों के लिए एक ध्वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी
> जान न्यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्ट करना पाप होगा।
> ध्वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में
> भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिकों के लिए ध्वज
> पर बने सितारे और पट्टियों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्लाम धर्म में सितारे और
> अर्ध चन्द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आहवान करता है।"
>
> "हमारे लिए यह अनिवार्य होगा कि हम भारतीय मुस्लिम, ईसाई, ज्यूस, पारसी और
> अन्य सभी, जिनके लिए भारत एक घर है, एक ही ध्वज को मान्यता दें और इसके लिए
> मर मिटें।"
>
> *- महात्मा गांधी*
>
> प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है। यह एक स्वतंत्र देश
> होने का संकेत है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की अभिकल्पना पिंगली वैंकैयानन्द
> ने की थी और इसे इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय
> संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों
> से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी। इसे 15 अगस्त 1947 और
> 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया और इसके
> पश्चात भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया। भारत में ''तिरंगे'' का अर्थ भारतीय
> राष्ट्रीय ध्वज है।
>
> भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर
> केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी और ये तीनों समानुपात
> में हैं। ध्वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद
> पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के
> सारनाथ के शेर के स्तंभ पर बना हुआ है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई
> के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।
> तिरंगे का विकास
>
> यह जानना अत्यंत रोचक है कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज अपने आरंभ से किन-किन
> परिवर्तनों से गुजरा। इसे हमारे स्वतंत्रता के राष्ट्रीय संग्राम के दौरान
> खोजा गया या मान्यता दी गई। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का विकास आज के इस रूप
> में पहुंचने के लिए अनेक दौरों में से गुजरा। एक रूप से यह राष्ट्र में
> राजनैतिक विकास को दर्शाता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज के विकास में कुछ
> ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार हैं:
>
> 1906 में भारत का गैर आधिकारिक ध्वज
>
> 1907 में भीकाजीकामा द्वारा फहराया गया बर्लिन समिति का ध्वज
>
> इस ध्वज को 1917 में गघरेलू शासन आंदोलन के दौरान अपनाया गया
>
> इस ध्वज को 1921 में गैर अधिकारिक रूप से अपनाया गया
>
> इस ध्वज को 1931 में अपनाया गया। यह ध्वज भारतीय राष्ट्रीय सेना का संग्राम
> चिन्ह भी था।
>
> भारत का वर्तमान तिरंगा ध्वज
>
> *प्रथम राष्ट्रीय ध्वज* 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क)
> कलकत्ता में फहराया गया था जिसे अब कोलकाता कहते हैं। इस ध्वज को लाल, पीले और
> हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।
>
> *द्वितीय ध्वज* को पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए
> कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था (कुछ के अनुसार 1905 में)। यह भी पहले
> ध्वज के समान था सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर केवल एक कमल था
> किंतु सात तारे सप्तऋषि को दर्शाते हैं। यह ध्वज बर्लिन में हुए समाजवादी
> सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।
>
> *तृतीय ध्वज* 1917 में आया जब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड लिया।
> डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया।
> इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्तऋषि के
> अभिविन्यास में इस पर बने सात सितारे थे। बांयी और ऊपरी किनारे पर (खंभे की
> ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।
>
> अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान जो 1921 में बेजवाड़ा (अब
> विजयवाड़ा) में किया गया यहां आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और
> गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख
> समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है। गांधी जी ने
> सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद
> पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना
> चाहिए।
>
> वर्ष 1931 ध्वज के इतिहास में एक यादगार वर्ष है। तिरंगे ध्वज को हमारे
> राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया । यह
> ध्वज जो वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्य में गांधी जी
> के चलते हुए चरखे के साथ था। तथापि यह स्पष्ट रूप से बताया गया इसका कोई
> साम्प्रदायिक महत्व नहीं था और इसकी व्याख्या इस प्रकार की जानी थी।
>
> 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्त भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप
> में अपनाया। स्वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्व बना रहा। केवल
> ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया।
> इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्वज अंतत: स्वतंत्र भारत का तिरंगा
> ध्वज बना।
> ध्वज के रंग
>
> भारत के राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और
> साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य
> का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती
> है।
> चक्र
>
> इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य
> सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित
> करने का आशय यह है कि जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है।
> ध्वज संहिता
>
> 26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया और स्वतंत्रता के
> कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्टरी में न
> केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की
> अनुमति मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को शान से कहीं भी और किसी भी
> समय फहरा सकते है। बशर्ते कि वे ध्वज की संहिता का कठोरता पूर्वक पालन करें और
> तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें। सुविधा की दृष्टि से भारतीय ध्वज
> संहिता, 2002 को तीन भागों में बांटा गया है। संहिता के पहले भाग में
> राष्ट्रीय ध्वज का सामान्य विवरण है। संहिता के दूसरे भाग में जनता, निजी
> संगठनों, शैक्षिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के
> प्रदर्शन के विषय में बताया गया है। संहिता का तीसरा भाग केन्द्रीय और राज्य
> सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के
> विषय में जानकारी देता है।
>
> 26 जनवरी 2002 विधान पर आधारित कुछ नियम और विनियमन हैं कि ध्वज को किस प्रकार
> फहराया जाए:
> क्या करें
>
> - राष्ट्रीय ध्वज को शैक्षिक संस्थानों (विद्यालयों, महाविद्यालयों, खेल
> परिसरों, स्काउट शिविरों आदि) में ध्वज को सम्मान देने की प्रेरणा देने
> के
> लिए फहराया जा सकता है। विद्यालयों में ध्वज आरोहण में निष्ठा की एक शपथ
> शामिल की गई है।
> - किसी सार्वजनिक, निजी संगठन या एक शैक्षिक संस्थान के सदस्य द्वारा
> राष्ट्रीय ध्वज का अरोहण/प्रदर्शन सभी दिनों और अवसरों, आयोजनों पर
> अन्यथा
> राष्ट्रीय ध्वज के मान सम्मान और प्रतिष्ठा के अनुरूप अवसरों पर किया जा
> सकता है।
> - नई संहिता की धारा 2 में सभी निजी नागरिकों अपने परिसरों में ध्वज फहराने
> का अधिकार देना स्वीकार किया गया है।
>
> क्या न करें
>
> - इस ध्वज को सांप्रदायिक लाभ, पर्दें या वस्त्रों के रूप में उपयोग नहीं
> किया जा सकता है। जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय
> से
> सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए।
> - इस ध्वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्पर्श नहीं कराया जाना
> चाहिए। इसे वाहनों के हुड, ऊपर और बगल या पीछे, रेलों, नावों या वायुयान पर
> लपेटा नहीं जा सकता।
> - किसी अन्य ध्वज या ध्वज पट्ट को हमारे ध्वज से ऊंचे स्थान पर लगाया
> नहीं जा सकता है। तिरंगे ध्वज को वंदनवार, ध्वज पट्ट या गुलाब के समान
> संरचना
> बनाकर उपयोग नहीं किया जा सकता।
>
> --
> with warm regards
>
> Harish Sati
> Indira Gandhi National Open University (IGNOU)
> Maidan Garhi, New Delhi-110068
>
> (M) + 91 - 9990646343 | (E-mail) Harish.sati@gmail.com
>
> --
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