गणतंत्र दिवस के आयोजन
हर वर्ष 26 जनवरी एक ऐसा दिन है जब प्रत्येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्नेह भर उठता है। ऐसी अनेक महत्वपूर्ण स्मृतियां हैं जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई है। यही वह दिन है जब जनवरी 1930 में लाहौर ने पंडित जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगे को फहराया था और स्वतंत्र भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की घोषणा की गई थी।
26 जनवरी 1950 वह दिन था जब भारतीय गणतंत्र और इसका संविधान प्रभावी हुए। यही वह दिन था जब 1965 में हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया।
आयोजन
इस अवसर के महत्व को दर्शाने के लिए हर वर्ष गणतंत्र दिवस पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, और राजधानी, नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के समीप रायसीना पहाड़ी से राजपथ पर गुजरते हुए इंडिया गेट तक और बाद में ऐतिहासिक लाल किले तक शानदार परेड का आयोजन किया जाता है।
यह आयोजन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर पुष्प अर्पित करने के साथ आरंभ होता है, जो उन सभी सैनिकों की स्मृति में है जिन्होंने देश के लिए अपने जीवन कुर्बान कर दिए। इसे शीघ्र बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है, राष्ट्रपति महोदय द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और राष्ट्रीय गान होता है। इस प्रकार परेड आरंभ होती है।
महामहिम राष्ट्रपति के साथ एक उल्लेखनीय विदेशी राष्ट्र प्रमुख आते हैं, जिन्हें आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
राष्ट्रपति महोदय के सामने से खुली जीपों में वीर सैनिक गुजरते हैं। भारत के राष्ट्रपति, जो भारतीय सशस्त्र बल, के मुख्य कमांडर हैं, विशाल परेड की सलामी लेते हैं। भारतीय सेना द्वारा इसके नवीनतम हथियारों और बलों का प्रदर्शन किया जाता है जैसे टैंक, मिसाइल, राडार आदि।
इसके शीघ्र बाद राष्ट्रपति द्वारा सशस्त्र सेना के सैनिकों को बहादुरी के पुरस्कार और मेडल दिए जाते हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में अभूतपूर्व साहस दिखाया और ऐसे नागरिकों को भी सम्मानित किया जाता है जिन्होंने विभिन्न परिस्थितियों में वीरता के अलग-अलग कारनामे किए।
इसके बाद सशस्त्र सेना के हेलिकॉप्टर दर्शकों पर गुलाब की पंखुडियों की बारिश करते हुए फ्लाई पास्ट करते हैं।
सेना की परेड के बाद रंगारंग सांस्कृतिक परेड होती है। विभिन्न राज्यों से आई झांकियों के रूप में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया जाता है। प्रत्येक राज्य अपने अनोखे त्यौहारों, ऐतिहासिक स्थलों और कला का प्रदर्शन करते है। यह प्रदर्शनी भारत की संस्कृति की विविधता और समृद्धि को एक त्यौहार का रंग देती है।
विभिन्न सरकारी विभागों और भारत सरकार के मंत्रालयों की झांकियां भी राष्ट्र की प्रगति में अपने योगदान प्रस्तुत करती है। इस परेड का सबसे खुशनुमा हिस्सा तब आता है जब बच्चे, जिन्हें राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार हाथियों पर बैठकर सामने आते हैं। पूरे देश के स्कूली बच्चे परेड में अलग-अलग लोक नृत्य और देश भक्ति की धुनों पर गीत प्रस्तुत करते हैं।
परेड में कुशल मोटर साइकिल सवार, जो सशस्त्र सेना कार्मिक होते हैं, अपने प्रदर्शन करते हैं। परेड का सर्वाधिक प्रतीक्षित भाग फ्लाई पास्ट है जो भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाता है। फ्लाई पास्ट परेड का अंतिम पड़ाव है, जब भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान राष्ट्रपति का अभिवादन करते हुए मंच पर से गुजरते हैं।
जीवन्त वेबकास्ट (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के जरिए गणतंत्र दिवस की परेड उन लाखों व्यक्तियों को उपलब्ध कराई जाती है जो इंटरनेट पर परेड देखना चाहते हैं। यह आयोजन होने के बाद भी इसके कुछ खास हिस्से "मांग पर वीडियो उपलब्ध" पर मौजूद होते हैं।
राज्यों में होने वाले आयोजन अपेक्षाकृत छोटे स्तर पर होते हैं और ये सभी राज्यों की राजधानियों में आयोजित किए जाते हैं। यहां राज्य के राज्यपाल तिरंगा झंडा फहराते हैं। समान प्रकार के आयोजन जिला मुख्यालय, उप संभाग, तालुकों और पंचायतों में भी किए जाते हैं।
प्रधानमंत्री की रैली
गणतंत्र दिवस का आयोजन कुल मिलाकर तीन दिनों का होता है और 27 जनवरी को इंडिया गेट पर इस आयोजन के बाद प्रधानमंत्री की रैली में एनसीसी केडेट्स द्वारा विभिन्न चौंका देने वाले प्रदर्शन और ड्रिल किए जाते हैं।
लोक तरंग
सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों के साथ मिलकर संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हर वर्ष 24 से 29 जनवरी के बीच ''लोक तरंग – राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह'' आयोजित किया जाता है। इस आयोजन में लोगों को देश के विभिन्न भागों से आए रंग बिरंगे और चमकदार और वास्तविक लोक नृत्य देखने का अनोखा अवसर मिलता है।
बीटिंग द रिट्रीट
बीटिंग द रिट्रीट गणतंत्र दिवस आयोजनों का आधिकारिक रूप से समापन घोषित करता है। सभी महत्वपूर्ण सरकारी भवनों को 26 जनवरी से 29 जनवरी के बीच रोशनी से सुंदरता पूर्वक सजाया जाता है। हर वर्ष 29 जनवरी की शाम को अर्थात गणतंत्र दिवस के बाद अर्थात गणतंत्र की तीसरे दिन बीटिंग द रिट्रीट आयोजन किया जाता है। यह आयोजन तीन सेनाओं के एक साथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से आरंभ होता है जो लोकप्रिय मार्चिंग धुनें बजाते हैं।
ड्रमर भी एकल प्रदर्शन (जिसे ड्रमर्स कॉल कहते हैं) करते हैं। ड्रमर्स द्वारा एबाइडिड विद मी (यह महात्मा गांधी की प्रिय धुनों में से एक कहीं जाती है) बजाई जाती है और ट्युबुलर घंटियों द्वारा चाइम्स बजाई जाती हैं, जो काफी दूरी पर रखी होती हैं और इससे एक मनमोहक दृश्य बनता है।
इसके बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्टर राष्ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। तब सूचित किया जाता है कि समापन समारोह पूरा हो गया है। बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन ''सारे जहां से अच्छा बजाते हैं।
ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज को उतार लिया जाता हैं तथा राष्ट्रगान गाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता हैं।
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with warm regards
Harish Sati
Indira Gandhi National Open University (IGNOU)
Maidan Garhi, New Delhi-110068
(M) + 91 - 9990646343 | (E-mail) Harish.sati@gmail.com
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